Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105

'क्या मुझको उसकी कंपनी की लेटेस्ट वैल्यूएशन पर उसे बधाई भी देनी होगी?' "वो सब रहने दो। तुम तो उसको फोन करके बताओ कि इस कार्यक्रम में आना ज़रूरी है।"

मैंने अपना फोन निकाल लिया।

हो गई थी, और यही सब?"

"हां, लेकिन मैं उसको यह सब कैसे बताऊंगा? कि उसकी मंगेतर का अफेयर था और इस चक्कर "मैं तो सोचता था तुम रघु से बदला लेना चाहते हो। उसने तुमसे जारा को ले लिया था, अब तुम उसको यह खुशखबरी सुना दो कि जारा तो उसकी भी नहीं थी।'

मैंने सिर हिला दिया। "यह अच्छा नहीं लगता। अब मेरे दिल में उसको चोट पहुंचाने की इच्छा भी नहीं रह गई है।'

'अच्छा तो ऐसा करो कि उसको डिटेल में कुछ मत बताओ, बस इतना ही कहो कि हमने कातिल को खोज निकाला है। उसे कहो कि वह कार्यक्रम में आ जाए, वहीं पर हम उसको बाक़ी की बातें बताएंगे।"

'लेकिन वो पूछेगा कि क़ातिल कौन है।' 'तो उसको बता देना कि वो फ़ैज़ है। अभी तुम उसको कॉल करोगे या मैं करू?"

सौरभ ने मेरा फोन छीनने की कोशिश की। मैंने अपना हाथ दूर कर लिया।

मैंने फ़ोन को स्पीकर मोड पर किया और रघु को कॉल लगाया।

'हे केशव। बहुत दिनों बाद याद आई, रघु ने कहा।

'हाय रघु, तुम इंडिया में हो क्या?"

'हां, अपने ऑफिस में क्या बात है?' मैंने समय देखा। रात के साढ़े दस बज रहे थे।

"इतनी देर तक काम कर रहे हो?'

"करना ही पड़ेगा। मुझे एक नए इंवेस्टर मिले हैं। हम लोग कुछ ग्रुप्स को मर्ज कर रहे हैं। तो, इस महीने कुछ

ज़्यादा ही काम है।'

है,

क्या मुझे उसे अभी मुबारकबाद देनी चाहिए, मैंने सोचा। फिर मैंने तय किया कि इसकी कोई जरूरत नहीं 'तो हम लोग एक-दूसरे से कार्यक्रम में ही मिलेंगेट'

केवल काम की बात करनी है।

"मैं आने की कोशिश कर रहा हूँ। लेकिन ये सभी नए इंवेस्टर्स मेरे सिर पर बैठे हुए हैं। ओह वेट, क्या उसके डैड ने तुमको भी इनवाइट किया है?" रघु ने अचरज भरी आवाज़ में कहा। जाहिर भी था। सफ़दर मुझसे

करते थे। मैं इस कार्यक्रम में कैसे शरीक हो सकता था। 'हां, वास्तव में यह सब एक प्लान का हिस्सा है। रघु हमने इस मामले की गुत्थी सुलझा ली है।" नफ़रत

"सच में?"

'हां, हमने कातिल को खोज निकाला है।'

कैसे? मेरा मतलब है, कौन है वो ?" "तुम कैप्टन फ़ैज़ को जानते हो?"

'हां, वो आर्मी अफसर ना। सॉलिड वंदा। जारा का फ़ैमिली फ्रेंड तो क्या कातिल को ढूंढने में उसने तुम्हारी

मदद की

'नहीं, रघु यह कैप्टन फैज़ ने ही किया है। वहीं कातिल है।'

"क्या?' उसने कहा और उसकी आवाज़ खामोश हो गई। 'रघु?' मैंने कहा। मुझे लगा कि लाइन कट हो गई है।

'मैं यहीं पर हूं,' उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ साफ़ सुनाई नहीं दे रही थी। 'तुम श्योर हो? फैज़?'

"हां।"

"कैसे?" "वो ज़ारा को पसंद करता था।'

'क्या?' 'उनका अफेयर था।'

'तुम क्या कह रहे हो? वो मैरिड है। उसके बच्चे हैं।'

   0
0 Comments